THE 2-MINUTE RULE FOR BEST HINDI STORY

The 2-Minute Rule for best hindi story

The 2-Minute Rule for best hindi story

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गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।

is really a compelling exploration of the cultural dichotomies as well as the evolving landscape of among the oldest and most revered metropolitan areas in India.

भावी और मूर्ति को उनके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, जब मूर्ति अचानक उठे और चिल्लाए “मैं दो लड्डू से खुश हूं।” बाद में उन्होंने पूरी कहानी ग्रामीणों को बताई। तभी से मूर्ति को गांव में “लड्डू भिखारी” नाम दिया गया।

सियार की चतुराई जानने के लिए पूरी कहानी हमारे पॉडकास्ट पर जरूर सुनें।

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे check here उड़ रही थी।

एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।

Within this novel, a youthful boy Bunti looks with the grown-up environment of his family as a result of his little one eyes and wounded eyes. But whether or not this novel is about Bunti or his mom Shakun can be a bone of competition. Shakun’s ambitions and self-importance for herself is a obstacle to the spouse and children, finally bringing about her separation from her husband. Within this conflict involving a partner a wife, it really is Bunti who suffers the most. The novel is highly acclaimed and praised for its knowledge of youngster psychology.

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।

कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।

मोरल – संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

लेकिन तब ठीक यही तर्क अपने अंतिम समय तक उसी लिपि में लिखनेवाले मुंशी प्रेमचंद पर भी लागू होता है. प्रेमचंद और मंटो दोनों हिंदी-उर्दू कथा साहित्य के अनमोल धरोहर हैं.)

यह बच्चों के लिए एक कश्मीरी लोक कथा है।

is not just a historic account but serves as a powerful commentary on the complexities of identity, belonging, and the implications of political decisions around the life of popular people.

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